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काशीपुर 17 सितंबर 2022
पेड़ों के अंधाधुंध कटान से मानव जीवन बुरी तरह प्रभावित है। इससे जहां ऑक्सीजन की कमी होने लगी है, वहीं मौसम का चक्र भी पूरी तरह बिगड़ गया है। वायुमंडल में कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा बढ़ रही है। बिगड़े वायुमंडल के चलते सांस, संक्रमण जैसी बीमारियों को बढ़ावा मिल रहा है। ऐसे में हम सभी को वृक्षों को सहेजने की तरफ बढ़ना होगा, ताकि न सिर्फ प्राणवायु का स्तर सुधारा जा सके, बल्कि पर्यावरण भी बचाया जा सके।
पेड़ों के लगातार कटान होने की वजह से दिन प्रतिदिन वन क्षेत्र घटता जा रहा है। आवासीय जरूरतों, उद्योगों के लिए सालों से पेड़ों को काटा जा रहा है। वृक्षों के संरक्षण के लिए बने नियम और कानूनों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। इससे न सिर्फ प्राकृतिक संरचना बिगड़ रही है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी नुकसानदायक साबित हो रहा है। ऑक्सीजन को बचाने के लिए वृक्षों को बचाना होगा। इंसान जो सांस छोड़ता है, वह कार्बनडाई ऑक्साइड होती है। वृक्ष वायुमंडल में फैली इसी कार्बनडाई ऑक्साइड को ग्रहण करते हैं और उसके बदले ऑक्सीजन छोड़ते हैं लेकिन वर्तमान में जिस तेजी से वृक्षों का दोहन किया जा रहा है यह मानव जीवन के लिए संकट के कारण उत्पन्न कर रहा है। वातावरण पर इसका विपरीत असर दिखने लगा है। कभी बाढ़, बेमौसम बरसात, भूकंप, मृदा कटान आदि ऐसी तमाम आपदाएं हैं, जो लगातार लोगों की मुश्किलें बढ़ा रही है। यही नहीं सेहत के लिहाज से तो यह और भी घातक सिद्ध हो रहा है। दिल के मरीजों की तादात भी तेजी से बढ़ रही है।
क्लीन&ग्रीन काशीपुर के प्रदेशाध्यक्ष विक्की कुमार सौदा ने कहा कि जितनी तेजी से वृक्षों को काटने का सिलसिला जारी है, यदि यह नहीं थमा तो ¨जदगी खत्म होना तय है। हम सभी को पर्यावरण के प्रति सचेत होना होगा। अशोक चावला प्रदेश मंत्री ने कहा कि सिर्फ लोगों को वृक्ष काटने से रोकने से पर्यावरण नहीं बचेगा, बल्कि पर्यावरण को बचाने के लिए पौधे लगाने होंगे। उनकी देखभाल करनी होगी, तभी पेड़ पौधे बचेंगे और तभी ¨जदगी भी बचेगी। प्रदेश कोषाध्यक्ष ओमप्रकाश विश्नोई ने कहा कि वृक्षों का हमारे जीवन में विशेष महत्व है, लेकिन आधुनिकता की ओर बढ़ते हमारे कदम वृक्षों के महत्व को नहीं समझ पा रहे हैं। जाने अनजाने वृक्षों को काटा जा रहा है। प्रदेश मीडिया प्रभारी पवन बाठला ने कहा कि हरे भरे पेड़ भी समाप्त किए जा रहे हैं। ऐसे में लोगों को चाहिए कि वृक्षों को काटने से बचें। पर्यावरण का चक्र बिगड़ रहा है। बरसात समय पर नहीं होती। बाढ़ जैसी आपदाएं आ रही हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह है कि पेड़ कम होते जा रहे हैं। इसको लेकर हम गंभीर नहीं हैं। हरे भरे पेड़ों को नहीं काटना चाहिए। राष्ट्रीय संरक्षक सुखदेव सिंह नामधारी ने कहा कि हमें वृक्षों को सहेजने का संकल्प लेना चाहिए। पर्यावरण संरक्षण सभी के लिए जरूरी है। वर्तमान में तो प्रदूषण बढ़ता जा रहा है, जिस कारण जीवनशैली पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है। हमें संभलना होगा। संरक्षक अश्विनी छाबडा ने कहा कि अपने साथ-साथ दूसरों को भी वृक्षों के कटान से पर्यावरण पर हो रहे दुष्प्रभावों को लेकर जागरूक करना होगा।