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काशीपुर 24 अप्रैल 2022
स्वर्गीय सत्येंद्र चंद्र गुड़िया एक ऐसे राजनेता रहे जो हमेशा याद आते रहेंगे नैनीताल संसदीय क्षेत्र से सांसद रहे स्वर्गीय सत्येंद्र चंद्र गुड़िया ने जीवन पर्यंत ईमानदार और आदर्श राजनीति की। उन्होंने जीवन पर्यंत भ्रष्ट हो चुके लोकतंत्र में भी ईमानदारी और सिद्धांतवादीता की जो मिसाल कायम की है वह बहुत कम देखने को मिलती है। वें हमेशा जनसेवा के प्रति समर्पित रहे और विकास के प्रति दूरदर्शी सोच रखी, हम आज उनकी 12 वीं पुण्यतिथि पर मना रहे हैं मगर आज भी उनके आदर्श सिद्धांत, ईमानदार,छवि और ताकतवर राजनीतिक कद हमारे बीच उनकी उपस्थिति बनाए हुए हैं,
उनकी पुत्री डॉक्टर दीपिका गुड़िया आत्रेय ने कहा कि आज के दिन पिताजी हमें छोड़ कर चले गए थे लेकिन हम प्रतिवर्ष उनकी पुण्यतिथि को शोक दिवस के रूप में नहीं बल्कि प्रतिवर्ष विकास के नए संकल्पों के रूप में मनाते हैं। वही उत्तराखंड सरकार में कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि स्वर्गीय सत्येंद्र चंद्र गुड़िया जी का क्षेत्र के विकास में महत्वपूर्ण योगदान रहा है आज हम उनकी 12 वीं पुण्यतिथि मना रहे हैं उनको याद कर रहे हैं उन्हें स्मरण कर रहे हैं वह जो कहते थे वह करते थे यह उनके अंदर बहुत बड़ी बात थी। उनको हमेशा याद किया जाएगा,उनको शत-शत नमन
13 दिसंबर 1933 को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी किशोरीलाल गुड़िया के यहां जन्मे सत्येंद्र चंद्र गुड़िया भले ही परिस्थिति वश अधिक पढ़े-लिखे नहीं थे फिर भी शिक्षा के प्रचार प्रसार और मां सरस्वती के स्कूली मंदिरों की स्थापना में उन्होंने जो अकथनीय योगदान दिया वह हमेशा याद आता रहेगा। वें हमेशा सामाजिक कार्यों में हिस्सा लेते थे। वह समाज के सचेत नेता थे। जाति ,धर्म से ऊपर उठकर प्रत्येक लोगों की सहायता करना उनके जीवन का लक्ष्य था। वें कांग्रेस के एक निष्ठावान सिपाही रहे। उन्होंने हमेशा अपनी राजनीतिक ताकत का इस्तेमाल लोक हित मैं किया। भ्रष्ट आचरण उन्हें कतई पसंद नहीं था और उनके जीवन की सबसे बड़ी खूबी यह रही कि गुंडों को उन्होंने ना तो कभी संरक्षण दिया और ना कभी उन से डरे। उनके रहते काशीपुर ही नहीं बल्कि नैनीताल संसदीय क्षेत्र के लोग महसूस करते थे कि उनके बीच में कोई उनका अपना नेता है जिसके रहते हैं उनका शोषण नहीं होगा।
वें जनता का दर्द समझने के साथ-साथ जरूरत पड़ने पर सरकारी मशीनरी का भी दर्द समझते थे। सरकारी मशीनरी के कामकाज में उन्होंने कभी भी अनावश्यक हस्तक्षेप नहीं किया मगर जनहित के प्रति किसी भी अफसर या कर्मचारी ने अनदेखी की तो उनके परशुराम रूपी कोप का भी सामना करना पड़ता था। वह थाने,कोतवाली की राजनीति से दूर रहते थे मगर जब कभी पानी सिर से ऊपर उतरने पर फोन करते थे तो उनके फोन का अपना अलग ही वजूद होता था। यह न्याय संगत कार्यों के लिए सिफारिश करते थे इसलिए अफसर व कर्मचारी भी काम करने में नहीं हिचकीचाते थे। आज उनके बगैर काशीपुर के राजनीतिक रंग विहीन है
नेता अपने स्वार्थों के लिए अपनी नैतिकता का सौदा कर लेते हैं मगर सत्येंद्र चंद्र गुड़िया ने नैतिक सिद्धांतों से मरते दम तक समझौता नहीं किया आज उनका हमारे बीच ना होना बहुत खलता है मगर अपने उन्हीं सिद्धांतों की खातिर आज वह ना होकर भी हमारे बीच जिंदा है । परमपिता परमेश्वर से प्रार्थना है कि वह पुण्य आत्मा जहां भी हो उसे शांति और मोक्ष प्राप्त हो उनकी ताकतवर छवि हमेशा हमारा मार्गदर्शन करती रहे ।