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रूद्रपुर 13 सितम्बर 2024-(सूवि.) जिलाधिकारी उदयराज सिंह ने बैठक में उपस्थित विभागीय अधिकारियों, वैज्ञानिकों, किसान संगठनों के पदाधिकारियों एवं मक्का कम्पनियों के प्रतिनिधियों तथा मक्का उत्पादक कृषकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि जनपद की राईस मिलों का लगभग 250 करोड का भुगतान लम्बित था उसमें 200 करोड का भुगतान राईस मिलर्स को किया जा चुका है तथा अवशेष 50 करोड का भुगतान भी सरकार द्वारा कर दिया जायेगा, जिससे कृषकों को अपना धान राईस मिलर्स को विक्रय करने में परेशानी नहीं होगी। उन्होने उपस्थित मक्का उत्पादक कृषकों एवं किसान संगठनों के पदाधिकारियों एवं वैज्ञानिकों को ग्रीष्मकालीन धान के विकल्प के रूप में मक्का फसल को बढावा दिये जाने हेतु अपने सुझाव देने को कहा।मक्का उत्पादक कृषक सुरेश राणा सितारगंज द्वारा अवगत कराया गया कि मेरे तथा मेरे आस-पास के ग्रामों में मक्का फसल का उत्पादन विभागीय अधिकारियों के सहयोग से वर्ष 2017 से निरन्तर किया जा रहा है तथा उन्हें मक्का फसल का अच्छा मूल्य भी मिला है, लेकिन वर्ष 2020 में कोरोनाकाल के दौरान मक्का फसल का उचित मूल्य न मिल पाने के कारण उसके बाद से मक्का का क्षेत्रफल कम होता चला गया। वर्ष 2022-23 से पुनः मक्के के क्षेत्रफल में आंशिक वृद्धि हुई है। उन्होने कहा कि मक्का फसल की तुडाई/कटाई माह जून में होने से मजदूरों की कमी हो जाती है, उनका सुझाव था कि यदि विभाग द्वारा मक्का की कटाई हेतु कम्बाईन अनुदान पर मिल जाये तो इससे कृषकों को समय व धनराशि की बचत होगी। इस पर मुख्य कृषि अधिकारी द्वारा अवगत कराया गया कि मक्का फसल की कटाई हेतु कटर को प्रोत्साहित किया जायेगा।
प्राध्यापक, पन्तनगर डॉ०आर०पी० सिंह ने कहा कि पूर्व में जनपद में मक्का बीज की अच्छी प्रजातियों उपलब्ध नही थी, लेकिन वर्तमान में भारत सरकार द्वारा तराई क्षेत्र के लिए बसन्तकालीन मक्का की 04 प्रजातियों आई०एम०एच०-222,223,225 एवं 226 तैयार की गयी है, लेकिन ये प्रजातियों अभी बाजार में उपलब्ध नहीं है। उनके द्वारा यह भी अवगत कराया गया कि मक्के की संकर प्रजातियां बाजार में उपलब्ध हैं, जो अच्छी पैदावार देती हैं। डॉ० सिंह ने बताया कि साईलेज के लिए पन्तनगर विश्वविद्यालय द्वारा विकसित प्रजाति डी०एफ०एस०-2 अच्छी प्रजाति है। कृषक इसे अपने प्रक्षेत्रों पर उगा सकते हैं। उन्होने कहा कि जनपद स्तर पर मक्का उत्पादक समूह बनाया गया है, जिसमें समय-समय पर मक्का उत्पादन से सम्बन्धित जानकारी उपलब्ध करायी जाती है, कृषक इस समूह में अपना पंजीयन करा सकते हैं।
प्रगतिशील कृषक बलविन्दर सिंह द्वारा अवगत कराया गया कि कृषक मक्का फसल का उत्पादन करेंगे, लेकिन मक्का फसल से पूर्व मक्का मूल्य का निर्धारण किया जाए, मक्का क्रय हेतु तहसील/विकासखण्ड स्तर पर क्रय केन्द्र खोले जाएँ तथा मक्का की नमी को दूर किये जाने हेतु ड्रायर की व्यवस्था कराई जाए।
जिला सहायक निबन्धक सहकारी समितियों एवं सहायक निदेशक, डेयरी द्वारा अवगत कराया गया कि साईलेज हेतु 10 से 15 हजार टन मक्का फसल की आवश्यकता होगी। उनके द्वारा यह भी अवगत कराया गया कि प्रारम्भ में साईलेज हेतु विकासखण्ड, रूद्रपुर एवं आस-पास के क्षेत्र को लिया गया है, जिसमें कृषकों से रू0 300.00 प्रति कु० की दर से मक्का फसल को क्रय किया जायेगा तथा मक्का फसल कृषक के प्रक्षेत्र से ही उठाया जायेगा, जिस पर होने वाले ढुलान का व्यय विभाग द्वारा स्वयं किया जायेगा। साथ ही उनके द्वारा यह भी बताया गया कि मक्का उत्पादक कृषक अपनी फसल को दाने की अवस्था में आते ही साईलेज हेतु विक्रय करें क्योंकि उस समय मक्का की फसल का भार ज्यादा होता है, इससे कृषकों को अच्छी आय की प्राप्ति होगी तथा कृषक का प्रक्षेत्र भी अगली फसल हेतु खाली हो जायेगा तथा मक्का तुडाई हेतु श्रमिकों की समस्या भी नही रहेगी।
प्राध्यापक, कृषि विज्ञान केन्द्र, ज्योलीकोट डॉ० सी० तिवारी, द्वारा अवगत कराया कि जनपद में कृषकों द्वारा लगातार धान-मटर, लाही, आलू-धान फसल चक्र अपनाने पर मिट्टी की उर्वरा शक्ति कम होती जा रही है तथा प्रक्षेत्र में आर्गेनिक कॉर्बन भी काफी कम होता जा रहा है। उनका सुझाव था उक्त सीरियल कॉप के स्थान पर यदि मक्का, गन्ना, लोबिया, मूंग,उरद फसलों को लिया जाए तो मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी बढेगी साथ ही भूमि का जल स्तर जो नीचे जा रहा है, उसमें सुधार किया जा सकता है।
जिलाधिकारी ने कहा कि उत्तराखण्ड में 06 इथनॉल की कम्पनियों अपना प्लान्ट शुरू करने जा रही हैं तथा वर्तमान में 02 इथनॉल कम्पनियों जो काशीपुर एवं किच्छा में स्थापित हैं के स्वामियों, मक्का क्रय कम्पनियों के स्वामियों एवं मक्का उत्पादक कृषकों के मध्य बैठक आयोजित करायी जायेगी, जिसमें पूर्व में ही मक्का मूल्य निर्धारण के विषय पर चर्चा की जायेगी। मक्का मूल्य निर्धारण के उपरान्त कृषक अपने उत्पाद को जहाँ उसे अच्छा मूल्य मिले वहाँ विक्रय कर सकता है। काशीपुर के गन्ना उत्पादक किसानों द्वारा मॉग की गयी कि काशीपुर चीनी मिल क्रियाशील न होने से गन्ना विक्रय किये जाने में परेशानी का सामना करना पड रहा है। इस पर जिलाधिकारी ने कहा कि बाजपुर चीनी मिल की रिकवरी में भी सुधार आया है। अतः काशीपुर के गन्ना उत्पादक कृषक अपने गन्ने को बाजपुर चीनी मिल में दे सकते हैं।
बैठक में मुख्य कृषि अधिकारी डॉ0 अभय सक्सेना, मुख्य उद्यान अधिकारी प्रभाकर सिंह, सहायक निबंधक सहकारी समितियां सुमन कुमार, वैज्ञानिक डॉ0 अजय प्रभाकर, सहायक निदेशक डेरी राजेश चौहान, सहायक निदेशक गन्ना आशीष नेगी, कृषि एवं भूमि संरक्षण अधिकारी विधि उपाध्याय, नारायण सिंह सहित प्रगतिशील किसान व विभिन्न कृषि संगठनों के पदाधिकारी मौजूद थे।