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काशीपुर 22 मार्च 2024
२०२२ में रिलीज़ हुई फ़िल्म ‘हिंदुत्व” से हिंदी सिनेमा में अपना पहला कदम रखने वाले, काशीपुर शहर के स्मरण की दूसरी फ़िल्म ‘तत्व” रिलीज़ के लिए बनकर तैयार हो चुकी है। इस फ़िल्म के लेखक व र्निदशक है मुकुल कपूर। स्मरण अपनी इस फ़िल्म को लेकर काफी उत्साहित है क्यूंकि इसमें उनकी मुख्य भूमिका पहली बार दर्शकों के सामने उजागर होने वाली है। इस फ़िल्म में उन्हें अन्य प्रख्यात कलाकारों के साथ भी अभिनय करने का मौका मिला है जैसे कि अमरदीप झा जो की राजू हिरानी की फ़िल्म “३ इडियट्स” में राजू की माता जी, शाहरुख खान की फ़िल्म ‘डंकि” में तापसी पन्नु की माता जी और अन्य ऐसे भावनात्मक किरदारों के लिए जानी जाती है। इनके अलावा उन्हें प्रख्यात अभिनय शिक्षक आलोक उल्फ़त जो की “नैशनल स्कूल ओफ ड्रामा” के प्रोफ़ेसर रह चुके है और हाली में उनका वेब सिरीज़ “ओके कम्प्यूटर” में भी काफ़ी मज़ेदार किरदार था, उनके साथ भी काम करने का मौक़ा मिला।
बताया जा रहा है कि”तत्व” की कहानी मुंबई में धारावी के कुम्हारों पर आधारित है और उनके जीवन पर प्रकाश डालने का काम करती है। स्मरण ने बताया की इस फ़िल्म को बनाने की प्रेरणा मुकुल और उन्हें ऐसे आयी की मुकुल जब २०१९ में धारावी गए थे तो वहाँ पहुँच कर वह अचंभित रह गए की धारावी में एक ऐसा समुदाय रह रहा है जो मिट्टी के बर्तन बनाने की कला को पीड़ी दर पीडी आगे बढ़ा रहा है। उनसे बात करने पर संज्ञान हुआ की ८०० सालो से वह और उनके पूर्वज इस कला को आगे लेकर चल रहे है। ये पूरा समुदाय एक जुट होकर रहते हैं और काफ़ी आध्यात्मिक भी है। उन्होंने यह भी बताया कि जिस मिट्टी से यह सारे बर्तन बनाए जाते है वह आज भी गुजरात से आती है। मुकुल ने यह देखा कि वहाँ परेशानिया होने के बावजूद वह लोग अपने चेहरे की मुस्कान कम नहीं होने देते और अगर कोई उनसे मिलना चाहे तो पूरी गर्म जोशी के साथ उनका स्वागत करते है। इन्ही सब चीज़ों से प्रेरित होकर मुकुल ने कहानी लिखी और उस पर एक फ़िल्म बनाने का निश्चय किया और स्मरण को उन्होंने फ़िल्म में “विनायक” का मुख्य किरदार निभाने के लिए प्रस्ताव दिया। स्मरण ने बताया की स्क्रिप्ट पड़ते ही उनकी रुचि जागी और बहुत जल्द उन्होंने मुकुल हाँ कह दी। फ़िल्म की तैयारी करने के लिए स्मरण ने सबसे पहला कदम यह लिया की मुकुल के साथ वह धारावी गए ताकि कुम्हारों को और उनकी दुनिया को वो करीब से जान सके ताकि पूरी परिपक्वता के साथ वो विनायक के किरदार को निभा सके।”तत्व” की बात करे तो फ़िल्म ने हाली में फ़्लिकर्ज रोड आयलंड फ़िल्म फेस्टिवल”, “पुणे शॉर्ट्स इंटर्नेशनल फ़िल्म फेस्टिवल”, इंडो-फ्रेंच इंटर्नेशनल फ़िल्म फेस्टिवल” व अन्य दस से ज़्यादा राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रिय फ़िल्म फेस्टिवल्ज़ में अवार्ड जीते है जो दर्शाता है की यह फ़िल्म कितने ऊँचे दर्जे पर बनायी गयी है और कितने ध्यान से एक ऐसी दुनिया से हमें अवगत कराया गया है जिससे शायद काफ़ी सारे लोग वंचित है। स्मरण और फ़िल्म के लेखक व निर्देशक मुकुल यही चाहते है कि ये कहानी ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक पहुँचे और वह इन भावनाओं को, कुम्हारों के जीवन और मेहनत को सरहायें और हो सके तो उनके ग्राहक बनकर उन्हें प्रोत्साहन भी दे।
स्मरण बताते है की अपने किरदार की मज़बूती से तैयारी करने कि लिए मुकुल ने उन्हें क़रीब डेढ़ महीने का समय दिया जिसमें उन्होंने गुजराती लेहजा़ और इसी के साथ साथ गुजराती भाषा के बोल भी सीखे। चुकी किरदार एक कुंभार का था स्मरण १५ दिनो के लिए काशीपुर अपने माता पिता के घर आए और उन्होंने स्टेडीयम रोड के एक कुम्हार आदेश के साथ १५ दिन हर रोज़ २ से ३ घंटे कुम्हारी सीखी जिस दौरान उन्होंने कई मिट्टी के कलश और दिए बनाए। मिट्टी को गोंदने से लेकर उसे आकार देने तक का सफ़र उन्हें बिलकुल जीवन के समान लगा और बहुत कुछ सिखा गया और इसके लिए वह आदेश का हमेशा धन्यवाद करते रहेंगे। स्मरण का मानना है की किसी भी किरदार को निभाने के लिए उसकी सोच जान ना और उसकी तरह थोड़ा जीना बहुत आवश्यक है। हों लेकिन इसका मतलब यह बिलकुल नहीं की आप अपने आप को बिलकुल खो दे क्यूँकि जब तक किसी किरदार में आप थोड़ा सा खुद को नहीं डालेंगे तो बाकियों से अलग अपनी छाप नहीं बना पाएँगे।