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काशीपुर, 31 जनवरी, 2024:- “प्रीत, नम्रता, मिठास जैसे दिव्य गुणों को अपनाकर मन-वचन-कर्म से हम सच्चे इन्सान बनें।” यह पावन प्रवचन निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने नागपुर में आयोजित तीन दिवसीय निरंकारी संत समागम के समापन सत्र में उपस्थित साध संगत को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए। यह दिव्य संत समागम अपनी अनुपम छठा बिखरते हुए हर्षोल्लासपूर्वक वातावरण में सम्पन्न हुआ।
सतगुरु माता जी ने समर्पण की सच्ची भावना का ज़िक्र करते हुए समझाया कि जब हम अपनी मैं, अहंकार को तजकर पूर्ण समर्पित भाव से इस परमात्मा से इकमिक होते हैं तब हमारे अंतर्मन को सही अर्थो में शांति एवं आलौकिक आनंद की अनुभूति प्राप्त होती है। यह परम् आनंद हमारे व्यवहार में भी दृश्यमान होने लगता है। फिर समूचे संसार का हर प्राणी हमें अपना लगने लगता है और हमारा जीवन मानवीयता के दिव्य गुणों से महक उठता है।
अंत में सतगुरु माता जी ने यही फरमाया कि हम जितना अधिक इस निरंकार से जुड़ते चले जायेंगे उतना ही हमारे अंतर्मन का वास्तविक मनुष्य प्रकट होता चला जायेगा। इसी मानवता को हमें जीवित रखना है। ब्रह्मज्ञान द्वारा हर पल में इस परमात्मा का अहसास करते हुए भक्ति भरा जीवन जीना है।
समागम के तृतीय दिन का मुख्य आकर्षण एक बहुभाषीय कवि दरबार रहा जिसमें ‘सुकूनः अंतर्मन का’ विषय पर मराठी, हिन्दी, कोंकणी, पंजाबी, भोजपुरी, अंग्रेजी एवं उर्दू भाषाओं में 22 कवियों ने अपनी कवितायें प्रस्तुत करी। जिसका आनंद सभी श्रोताओं द्वारा प्राप्त किया गया और सभी ने प्रशंसा करी।समागम के अंतिम सत्र में संत निरंकारी मंडल के मेंबर इंचार्ज (प्रचार प्रसार) श्री मोहन छाबड़ा ने सतगुरु माता जी एवं निरंकारी राजपिता जी का नागपुर की नगरी में संत समागम की सौगात प्रदान करने के लिए हृदय से आभार प्रकट किया और साथ ही महाराष्ट्र के आगामी 58वें संत समागम की जानकारी देते हुए बताया कि अगला निरंकारी संत समागम पूणे शहर की धरा पर आयोजित होगा। यह जानकारी प्रकाश खेड़ा द्वारा दी गई!