Share This News!
कोटद्वार : आम आदमी पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष शिशुपाल रावत ने कोटद्वार में एक प्रेस वार्ता के दौरान 7 फरवरी को चमोली के रैणी गांव मैं आई आपदा के रेस्क्यू पर चिंता जताई उन्होंने कहां कि घटना के 6 दिन बीत गए हैं जबकि अभी भी 166 के लगभग लोग लापता हैं जबकि 38 शव अब तक बरामद हो चुके हैं लेकिन सबसे बड़ी चिंता का विषय टनल में फंसे वो 30 से 35 मजदूर हैं जो पिछले 6 दिनों से अन्दर फंसे हैं जहां ऑक्सीजन की कमी है और रेस्क्यू टीम अब तक मलबे को पूरी तरह हटा कर वहां तक पहुंचने में कामयाब नहीं हो पाई। आप उपाध्यक्ष ने एनटीपीसी के अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाते हुए कहा पहले एनटीपीसी ने जिस टनल में मजदूरों के फंसे होने की बात कही ओर वहां रेस्क्यू टीम प्रयास कर रही थी बाद में पता चला उस टनल में काम ही नहीं चल रहा था। यही नहीं वहां रेस्क्यू ऑपरेशन में मशीनों की वजह से भी तमाम दिक्कतें आई जहां कई बार मशीन खराब होने की बात भी सामने आई।
आप उपाध्यक्ष ने कहा,सबसे बड़ा सवाल वहां पिछले 6 दिनों से मौजूद उन परिजनों के दिमाग में है जो अपनों के इंतज़ार में पिछले 6 दिनों से बेतहाशा इधर उधर भटक रहे । उनके दिल में अभी भी उम्मीद की किरण है कही से उनके अपने सुरक्षित रेस्क्यू टीम को मिल जाए लेकिन जिस तरह से पिछले 6 दिनों से काम चल रहा उससे भी उनको निराशा हो रही है। हालत ये हो गए कि अब प्रशासन,सरकार के खिलाफ वो लोग नारेबाजी और विरोध में उतर आए । जैसे जैसे दिन बढ़ते जा रहे वैसे वैसे उनकी उम्मीदें भी टूट रही है। कई परिजन ऐसे भी हैं जो अब हताश होकर अपने घरों को खाली हाथ लौटने लगे हैं
आप उपाध्यक्ष ने बताया की,वो और आम युवा मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष दिगमोहन नेगी मौके पर गए थे और उन्होंने वहां के हालत देखकर बड़ा अफसोस हुआ
वहां जाकर उन्होंने जहां एक ओर तबाही का जायजा लिया वहीं पीडित और प्रभावित हुए परिवारों के परिजनों से भी मुलाकात करते हुए इन सभी ने अपनी सांत्वनाएं प्रकट की।
आप उपाध्यक्ष ने कहा,प्रशासन को अब मुस्तैदी दिखाते हुए ,तत्काल पीड़ितों को मुआवजा देना चाहिए और हेल्प लाइन सिस्टम भी बनाना चाहिए ताकि पीड़ित परिवारों को अपनों से जुड़ी जानकारी मिल सके। शिशुपाल रावत ने कहा,7 फरवरी को हुई तबाही ने सभी को झकझोर कर रख दिया। 4,5 और 6 फरवरी को लगातार हुई बर्फबारी से जो ग्लेशियर टूटा वो अपने साथ मिट्टी और भारी मात्रा में बडे बडे बोल्डर लेकर आया जिसने तबाही मचाई और कई जिंदगियां लील गया। रैणी गांव और तपोवन क्षेत्र में इस प्रलय ने भारी तांडव मचाया। दो बिजली की परियोजनाओं के साथ 200 से ज्यादा आदमी इसमें लापता हो गए। प्रशासन, एनडीआरएफ,एसडीआरएफ,सेना,आईटीबीपी के जवान बडी मुस्तैदी से अभी भी रेस्क्यू आपरेशन में जुटे हुए है।
उन्होंने कहा कि इस तबाही से अन्य 13 गांवों का संपर्क मुख्य घारा से कट चुका है । इन गांवों को जोडने वाले 5 पुल बह गए हैं। जहां पर प्रशासन हेलीकाॅप्टर से मदद पहुंचाने में जुटा हुआ है। उन्होंने कहा कि भारी हानि हुई है लेकिन अभी इसका आंकलन ठीक से नहीं किया जा सकता है। अभी भी कुछ लोग टनल में फंसे हुए हैं जिन्हें रेस्क्यू के लगातार दिन रात प्रयास किए जा रहे हैं। हम आशा करते हैं कि वो लोग अभी सुरक्षित हों।
उन्होंने कहा,वर्ष 2013 में केदारनाथ में आई जलप्रलय त्रासदी से आखिर सरकार ने क्या सबक लिया, जलवायु परिवर्तन से पिघल रहे ग्लेशियर के कारण बन रही झीलों को क्यों स्टडी नही किया जा रहा। सवाल यही है कि, जब हर सरकार विकास का श्रेय लेती है, तो विकास की कीमत पर होने वाले किसी भी विनाश का जिम्मा क्यों नहीं लेती ? यह अब स्थापित तथ्य होने जा रहा है कि उत्तराखंड में कोई आपदा यूं ही नहीं आती। यहां विनाश का सीधा संबंध सरकारी विकास से है। नीति घाटी में आई आपदा एक उदाहरण है, सरकार की ऐजेंसियां भले ही यहां फेल हो गयी मगर नीति घाटी के ग्रामीणों को किसी भी अनहोनी का अंदेशा काफी पहले से था प्रेस वार्ता में कोटद्वार संगठन मंत्री डॉक्टर अनिल मोहन राणा सेक्टर प्रभारी राजेंद्र जडेजी जी राकेश अग्रवाल जी शिवकुमार धस्माना जी राजेंद्र आर्य जी मनोज रावत जी डॉक्टर विनोद सावनत मेहताब सिंह रावत जी उपस्थित थे